लखनऊ। प्रमुख सचिव संस्कृति एवं पर्यटन मुकेश मेश्राम के द्वारा किये जा रहे गबन घोटाला व भ्रष्टाचार के खिलाफ निलंबित कर जांच कराए जाने की मांग को लेकर दबीर सिद्दीकी, सचिव, थिएटर एंड फ़िल्म वेलफेयर एसोसिएशन उत्तर प्रदेश लखनऊ के नेतृत्व में कलाकारों के एक समूह के द्वारा उत्तर प्रदेश पर्यटन भवन के गेट पर धरना प्रदर्शन किया गया और निम्नलिखित भ्रष्टाचार के मुद्दों पर निलंबित करते हुए जाँच कराने की मांग की गई। यहां यह सोचने की बात है कि लगभग एक वर्ष पूर्व इनका ट्रांसफर संस्कृति मंत्रालय,भारत सरकार में हो गया था परंतु माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ जी की साफ सुथरी छवि को धूमिल करते हुए विपक्षी लोगो के साथ मिलकर भ्रष्टाचार और गबन में लिप्त हैं।
1- 5 करोड रुपए के बजट आवंटन के बाद भी राय उमानाथ बली प्रेक्षागृह में जीर्णोद्धार नहीं कराया गया।
2- भारतेंदु नाट्य अकादमी अयोध्या शोध संस्थान लोक एवं जनजाति कला संस्कृति संस्थान लखनऊ आदि विभागों में सेवानिवृत्त के बाद भी अवैध रूप से नियुक्ति कर बजट का बंदरबांट करना।
3- नवाब वाजिद अली शाह अवध महोत्सव में अवध के कार्यक्रम न होकर बाहर अन्य शहरों के कलाकारो द्वारा कार्यक्रम कर कमीशन बाजी करना ।
4 – लोक सेवा आयोग द्वारा संस्कृति निदेशालय में सहायक निर्देशन के 4 पदों पर भर्ती के बाद भी अवैध रूप से 2 सहायक निदेशक के द्वारा अवैध रूप से धन उगाही कराना ।
5- लेन-देंन करने वाले कलाकारों पर तो ये नियम लागू नहीं होता है उन्हें लगातार संस्कृति विभाग से पाँच से दस बार प्रोग्राम दिया जा रहा है और लेन-देन नहीं करने वाले कलाकारो को एक या दो ही प्रोग्राम दिया जाता है।
6- संस्कृति विभाग एवम उसके अधीनस्थ सभी संस्थानों में बिना टेंडर के एक या दो इवेंट कंपनी से धन उगाही कर के सभी कार्यक्रम कराए जाते हैं।
7. पर्यटन विभाग द्वारा कम कीमत वाले टेंडर की जगह अधिक कीमत वाले टेंडर को कार्य दिया जाता है।।