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रवीन्द्रालय चारबाग में लखनऊ बुक फेयर : आठवां दिन

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कालजयी साहित्य और अवध की गंगा-जमुनी तहजीब
हुआ खग्रास और महाकाव्य का विमोचन और उठीं कविताओं की स्वर लहरियां
लखनऊ, 24 मार्च। रवीन्द्रालय चारबाग में चल रहे लखनऊ पुस्तक मेले में कविता, कहानी, उपन्यास और शायरी का रंग पुस्तक प्रेमियों के सिर चढ़कर बोल रहा है। यहां हर उम्र के साहित्य के खरीदार बराबर आ रहे हैं। पुस्तकों पर कम से कम 10 प्रतिशत छूट देने वाला और सुबह 11 बजे से रात नौ बजे तक चलने वाला यह 26 मार्च को विदा ले लेगा।
समापन की ओर बढ़ चले मेले के आठवें दिन आज मेले में खूब भीड़ रही। यहां मुख्यतः हिन्दी अंग्रेज़ी के कालजयी साहित्य के संग इतिहास, कला-संस्कृति, विज्ञान, खान-पान और लगभग सभी विषयों की पुस्तकें हैं। अज्ञेय के संपादन वाले तर सप्तक, दूसरा सप्तक और तीसरा सप्तक भी टैगोर, भारती, बच्चन, प्रेमचन्द, रेणु, अज्ञेश्, महादेवी वर्मा, मोहन राकेश, अमृतलाल नागर, यशपाल, निर्मल वर्मा सहित सभी सुप्रसिद्ध हिंदी और अंग्रेजी साहित्यकारों की पुस्तकें हैं। शायरी में फिराक, निदा फाजली, गुलजार, मुनव्वर राना जैसे शायरों की अनगिनत किताबें हैं तो कविताओं में राजकमल प्रकाशन द्वारा सद्य प्रकाशित पीयूष मिश्रा की तुम्हारी औकात क्या है जैसी पुस्तकें भी हैं।
नवाबी शहर के नाम से विख्यात रही इस प्राचीन नगरी के बंगाली, कश्मीरी, शिया, पारसी, पर्वतीय समाज के संग कथक, लुप्त होती कलाओं, ऐतिहासिक इमारतों और अन्य पक्षों को रेखांकित करती हिन्दी वाङ्मय निधि की छोटी-छोटी किताबें लखनऊ के अनेक लेखकों की किताबों के साथ मेले में उपलब्ध हैं। यू ंतो कम दामों वाली ये 44 पुस्तिकाएं संग्रहणीय हैं, पर इनमें किस्सागोई के अंदाज में योगेश प्रवीन की अवध की बेगमों, लखनवी शायरी, नवाबी जलवों और लखनउवा कहानियों के संग डा.रोशन तकी, नवनीत मिश्र, रामकिशोर बाजपेयी, डा.नरेश सिंह नवीन जोशी इत्यादि की पुस्तिकाएं महत्वपूर्ण हैं।
कार्यक्रमों में आज नवसृजन की ओर से डा.सत्यदेव प्रसाद द्विवेदी पथिक की अध्यक्षता व डा.योगेश के संचालन में डा.पथिक के महाकाव्य मख क्षेत्र मनोरमा का लोकार्पण डा.सुल्तान शाकिर हाशमी, श्याम कुमार, ओम नीरव, नरेन्द्र भूषण, डा.अजय प्रसून ने किया। वरिष्ठ पत्रकार श्याम कुमार को साहित्य सारथी सम्मान प्रदान किया गया तथा अनिल किशोर शुक्ल, रामप्रकाश शुक्ल प्रकाश, अनिल किशोर शुक्ल, केपी त्रिपाठी पुंज, मनमोहन बरकोटी, डा.सुधा मिश्रा, रत्ना बापुलि, सहित अनेक रचनाकारों ने काव्यपाठ किया। मंच पर दूसरी विमोचित कृति महाभारत युद्ध के समय 14वें दिन हुए सूर्यग्रहण को लेकर रची गयी डा.डीएस शुक्ला की खग्रास रही। वरिष्ठतम विद्वान डा.सूर्य प्रसाद दीक्षित की अध्यक्षता में सम्प्पन इस समारोह में मुख्य अतिथि सुधाकर अदीब ने पुस्तक की खूबियों बताते हुये बताया कि पुस्तक में महाभारत को ऐतिहासिक सिद्ध करने के लिए 2016 में हरियाणा और पश्चिम उत्तर प्रदेश में हुये आर्कियालोजिकल खनन में महाभारत कालीन साक्ष्य मिलने का उद्धरण किया गया है। कार्यक्रम में शहर के साहित्य प्रेमी तथा नामी साहित्यकार उपस्थित रहे।
मेले में कल 25 को सुबह 11 बजे से बाल व युवाओं के कार्यक्रम के बाद अपराह्न कला वसुधा पत्रिका के साथ ही अशोकचन्द्र की कश्मीर पर लिखी पुस्तक स्वर्ग की यातना का विमोचन, शाम पांच बजे दौलतदेवी स्मृति संस्थान का सम्मान समारोह और सात बजे से काव्या सतत साहित्य यात्रा का काव्य समारोह होगा। मेला फोर्स वन बुक्स के साथ ट्रेड मित्र, ज्वाइन हैण्ड्स फाउण्डेशन, किरन फाउण्डेशन, ओरिजिन्स आदि के सहयोग से हो रहा है।

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