रामोत्सव-2023
लखनऊ, 16 अक्टूबर 2023। भारत की सबसे प्राचीनतम रामलीला समिति, श्रीराम लीला समिति ऐशबाग लखनऊ के तत्वावधान में श्री रामलीला मैदान के तुलसी रंगमंच पर चल रहे ‘रामोत्सव-2023’ के आज दूसरे दिन फुलवारी लीला, जनक प्रतिज्ञा, धनुष यज्ञ, सीता स्वयंवर, परशुराम लक्ष्मण संवाद, राम जानकी विवाह और विदाई लीला हुई।
आज की रामलीला के पूर्व सरिता सिंह के नृत्य निर्देशन में उड़ान नृत्य एकेडमी के कलाकारों शौर्य सिंह, अनुराधा गुप्ता, निशा, जानवी गुप्ता, आर्या पटेल,अनुष्का, मिस्टी केसरवानी, पीहू पांडे, बानी शुक्लाआकांक्षा, शौर्य सिंह ने देखो देखो आ गई सवारी राजा राम की अब बनेगी हर घर में दीवाली पर भावपूर्ण अभिनय युक्त नृत्य प्रस्तुत कर दर्शकों को भगवान श्री राम की भक्ति के सागर में आकन्ठ डुबोया। इसके अलावा सुरभि कल्चरल डांस एकेडमी के कलाकारों ने भी मनोरम प्रस्तुति दी।
सकल सौच करि जाइ नहाए, नित्य निबाहि मुनिहि सिए नाए, समय जानि गुर आयसु पाई, लेन प्रसून चले दोउ भाई़़ इन पंक्तियों के संग आज फुलवारी लीला आरम्भ हुई , जिसमे गुरू विश्वामित्र के साथ राम और लक्ष्मण जनकपुर पहुंचते हैं। विश्राम के दूसरे दिन दोनों भाई जनकराज की वाटिका में पूजा के लिए पुष्प लेने जाते हैं, जहां पर सखियों संग गई सीता जी, भगवान राम को और राम जी, सीता को देखते हैं।अगली लीला रही जनक प्रतिज्ञा, इस प्रसंग में सीता जी, महल में रखे शिवजी के धनुष को एक पुष्प की भांति एक स्थान से दूसरे सथान पर रख देती हैं, जिसको देखकर राजा जनक यह प्रतिज्ञा लेते हैं कि जो कोई भी इस धनुष को तोड़ेगा, सीता का विवाह वह उससे करेंगे।
रामलीला के अगले क्रम में धनुष यज्ञ लीला हुई, जिसमे जनक प्रतिज्ञा के अनुसार महल में धनुष यज्ञ का आयोजन करते हैं जहां पर तमाम सुदूरवर्ती क्षेत्रों से आए राजा-महाराजा भाग लेते हैं और सभी धनुष को उठाने का प्रयास करते हैं लेकिन कोई भी धनुष को तोड़ने के बजाए उठाने में ही अक्षम साबित होते हैं। महल में ऐसा दृश्य सृजित हो जाता है कि सभी लोग कहते हैं कि धनुष का क्या होगा। तभी गुरू विश्वामित्र राम को आदेश देते हैं कि वह उस धनुष की प्रत्यंचा चढ़ायें। गुरू की आज्ञा पाकर राम, शिव जी के धनुष को हाथ से उठाकर जैसे ही प्रत्यंचा चढ़ाते हैं, वैसे ही सारे लोग हतप्रभ हो जाते हैं प्रत्यंचा चढ़ाते ही राम से धनुष टूट जाता है। धनुष टुटने की आवाज आकाश में गूंजती है, वैसे ही महल में परशुराम गरजते हुए महल में पहुंचते हैं और जोर जोर से कहते हैं कि भगवान शिव के इस धनुष को किसने तोड़ा है, कौन है यह दुःसाहसी। परशुराम के इस वचन को सुनकर लक्ष्मण बड़े आवेग में आकर कहते हैं कि आपकी कैसी हिम्मत हुई ऐसा कहने कि इस धनुष को किसने तोड़ा। तभी परशुराम और लक्ष्मण में काफी वाद-विवाद होता है और आखिर में परशुराम को समझ में आ जाता है कि धनुष को किसने और क्यो तोड़ा है। इसी के साथ परशुराम लक्ष्मण संवाद प्रसंग का समापन होता है।
परशुराम लक्ष्मण संवाद के बाद राम जानकी विवाह व विदाई लीला हुई। इस प्रसंग में राम और सीता के विवाह की तैयारियां शुरू हो जाती हैं और भगवान राम के गले में सीता जी वरमाला डालती हैं तभी आकाश से सभी देवतागण पुष्प वर्षा करते हैं और इसी के साथ राजा जनक की अन्य तीनों पुत्रियों का विवाह भी क्रमशः लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न के साथ हो जाता है। विवाह के उपरान्त सीता जी विदा होकर अयोध्या की ओर प्रस्थान करती हैं। यहीं इस लीला का सुखद् अंत होता है। इस मौके पर श्री राम लीला समिति ऐशबाग के अध्यक्ष हरीशचन्द्र अग्रवाल, सचिव पं. आदित्य द्विवेदी, प्रमोद अग्रवाल सहित अन्य गणमान्य व्यक्तियों के अलावा तमाम दर्शक उपस्थित थे।