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10 नवम्बर से 14 तक राजसूय यज्ञ

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धीरेन्द्र श्रीवास्तव ब्यूरोचीफ सीतापुर

सीतापुर। मियागंज (उन्नाव) राष्ट्र को सशक्त, समर्थ तथा प्रजा को सुख-साधन संपन्न बनाने के उद्देश्य से मियागंज में आगामी 10 नवंबर से 14 नवंबर तक आयोजित राजसूय यज्ञ की विराट यज्ञशाला में विशेष आकार के कुण्ड निर्मित किए जा चुके हैं। रंगाई पुताई के साथ सोमवार को यज्ञशाला को सजाने और संवारने का काम शुरू हो गया।
यह जानकारी देते हुए संयोजक मुकेश कुमार गुप्ता ने बताया कि जब-जब राजसूय यज्ञ हुआ, तब-तब अपना देश भारतवर्ष विश्व का सिरमौर बना। प्रजा सुखी हुई। महाभारत काल में धर्मराज युधिष्ठिर ने राजसूय यज्ञ किया था। रामायण काल में श्री रामचंद्र ने राजसूय यज्ञ किया था। राजसूय यज्ञ के परिणाम स्वरूप राम-राज्य में सभी सुखी थे।

“दैहिक दैविक भौतिक तापा।
राम राज नहिं काहुहि व्यापा।।
सब नर करहिं परस्पर प्रीती।
चलहिं स्वधर्म निरत श्रुति नीती।।
सब सुंदर सब बिरुज सरीरा।
नहिं दरिद्र कोउ दुखी न दीना।।
सब गुनग्य पंडित सब ज्ञानी।
सब कृतज्ञ नहिं कपट सयानी।।”

राजसूय यज्ञ समिति के प्रवक्ता अतुल कपूर ने बताया कि राजसूय यज्ञ में राजा अथवा राज्य सत्ता के प्रतीक प्रतिनिधि के रूप में विशेष कर्मकाण्डों को, विशिष्ट यजमान के रूप में, संपन्न कराने की प्राचीन वैदिक परिपाटी है। राष्ट्र को समर्पित इस राजसूय यज्ञ में सत्ता के प्रतीक प्रतिनिधि के रूप में क्षेत्रीय विधायक बम्बालाल दिवाकर सहित अनेक लोक सभा, राज्य सभा, विधानसभा, ग्राम सभा, जिला पंचायत व नगर पंचायतों के अध्यक्ष तथा सदस्य भी राष्ट्र को सशक्त बनाने के उद्देश्य से आहुतियां देंगे।

इस सदी का पहला राजसूय यज्ञ

कार्यक्रम प्रभारी बलवीर सिंह यादव ने बताया कि रामायण काल कथा महाभारत काल के बाद इस सदी में पहली बार राजसूय यज्ञ का यह विराट आयोजन उत्तर प्रदेश के मियां गंज (जनपद उन्नाव) में होने जा रहा है, जिसमें एक मंच पर राजतंत्र के गौरवशाली पदों पर आसीन प्रमुख प्रतिनिधि पूजन करेंगे। शासन सत्ता से जुड़े विभिन्न पदों पर आसीन प्रतिनिधि विराट यज्ञशाला में भूमिति, जयोमिति तथा वास्तु शास्त्र के आधार पर निर्मित विशेष यज्ञ-कुंडों में श्रद्धा सहित आहुतियां देंगे।
दूसरे मंच पर गायत्री तपोवन हरिद्वार व्यवस्थापक तथा मैनेजिंग ट्रस्टी श्यामवीर सिंह के निर्देशन में राजसूय यज्ञ की यज्ञ संसद के विद्वान यज्ञ का संचालन करेंगे। इसी मंच से धर्म तंत्र के प्रमुख संत तथा विविध धार्मिक संस्थाओं के प्रमुख धर्मगुरु राजतंत्र का मार्गदर्शन करेंगे।

क्या हैं राजसूय यज्ञ की विशेषताएं

प्रवक्ता अतुल कपूर ने राजसूय यज्ञ की विशेषताओं की जानकारी देते हुए कहा कि वैदिक मंत्रों से राजसत्ता के प्रतीक राज सिंहासन, राजदंड तथा राष्ट्रध्वज के पूजन के साथ राजसूय यज्ञ प्रारंभ होगा।
विराट यज्ञशाला में देव मंच के सामने द्वादश गणपति वेदी, नवग्रह मंडल वेदी, सर्वतोभद्र वेदी, सप्त ऋषि मंडल वेदी, चौसठ योगिनी वेदी व षोडश मातृका वेदी आदि विशिष्ट वेदिकाएं बनाई जा रही हैं।
देव पूजन तथा विविध यज्ञीय कर्मकाण्ड के बाद विश्व शांति, राष्ट्र को प्रगतिशील बनाने हेतु, शत्रुवृत्ति के विनाश हेतु, अखिल विश्व के भरण-पोषण हेतु तथा संपूर्ण विश्व में प्यार, सहकार और मैत्री भाव बढ़ाने के लिए विशेष वैदिक मंत्रों के साथ निर्धारित विशिष्ट हवि सामग्री से आहुतियां दी जाएंगी।
हमारा भारत देश विश्व का नेतृत्व करने में सक्षम हो, इसलिए राष्ट्र को समर्थ, जागृत व चेष्टावान बनाने के लिए विशेष स्वाहाकार मंत्राहुतियां दी जाएंगी।
राष्ट्र के प्रतिभावान शिक्षकों, चिकित्सकों, वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं, विद्यार्थियों, सांसदों, विधायकों ग्राम प्रधानों, जिला एवं नगर पंचायत अध्यक्षों व जनसेवा-रत लोकसेवकों के लिए प्रतिभा प्रोत्साहन हेतु तथा उच्च पदों की प्राप्ति हेतु विशेष वैदिक मंत्रों से आहुतियां दी जाएंगी।
राष्ट्र की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ बनाने, नागरिकों को ऐश्वर्यवान बनाने तथा प्रजा के सुख-साधनों में वृद्धि के लिए विशेष वैदिक मंत्रों से आहुतियां दी जाएंगी।
वायु प्रदूषण तथा जल प्रदूषण दूर करने के लिए और बिगड़े हुए ऋतु चक्र के संशोधन के लिए विशेष आहुतियां दी जाएंगी।
देश की जल सेना, थल सेना और वायु सेना को सशक्त बनाने के लिए विशेष आहुतियां दी जाएंगी।
राजसूय यज्ञ से उत्पन्न ऊर्जा को सर्व कल्याण और राष्ट्र के समग्र विकास में नियोजित करने के लिए मौन तांत्रिक आहुति दी जाएगी।

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