विजय चन्द्र तिवारी की रिपोर्ट
नगराम 16 अप्रैल। बदहाली को झेलता सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कस्बा नगराम उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ स्वास्थ्य विभाग के लिए जहां पर सख्त नजर आ रहे हैं लेकिन राजधानी लखनऊ के कस्बा नगराम में स्वास्थ्य विभाग के वादे खोखले नजर आ रहे हैं आपको बताते चलें कि लखनऊ से मात्र 40 किलोमीटर दूर कस्बा नगराम में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र होने के बाद भी इमरजेंसी सेवा और जच्चा-बच्चा केंद्र पर ना कोई डॉक्टर ना कोई नर्स तैनात नहीं है इमरजेंसी में आए मरीजों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है इसी तरीके जच्चा बच्चा केंद्र का भी यही हाल है नगराम के समुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के अधीक्षक राजेश सिंह से जब हमारे संवाददाता ने बात किया तो उन्होंने बताया कि जच्चा बच्चा केंद्र में लगभग 6 महीनों से कोई भी नर्स तैनात नहीं है जिसकी लिखित से शिकायत आला अधिकारियों से की जा चुकी है इसी तरीके इमरजेंसी सेवा का भी यही हाल है एमरजैंसी सेवा में कोई भी डॉक्टर तैनात नहीं है इमरजेंसी सेवा और जच्चा-बच्चा केंद्र दोनों ठप रहते हैं ऐसे में मरीजों को या तो प्राइवेट नर्सिंग होम का शिकार बनना पड़ता है या तो कस्बा नगराम से 40 किलोमीटर दूर लखनऊ जाना पड़ता है इसकी वजह से क्षेत्रीय लोगों को काफी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है लखनऊ के नगर पंचायत नगराम में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र होने के बाद भी सुविधाओं से वंचित रखा गया है। देखा जाए तो स्वास्थ्य केंद्र में सरकारी डॉक्टर तैनात है । फिर भी वह समय पर नहीं बैठते और ना ही ठीक से गरीब जनता का इलाज करते हैं।
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में देखा जाए तो स्वास्थ्य विभाग की तरफ से हर प्रकार की बीमारियों के विशेषज्ञ उपलब्ध होने चाहिए।
फिर भी यहां पर जनता के साथ दुर्व्यवहार होता है ।और सबसे बड़ी बात यह है कि यहां पर 24 घंटा इमरजेंसी सेवाएं उपलब्ध होने के बाद भी कोई डॉक्टर तैनात नहीं है और महिलाओं से संबंधित एक विशेषज्ञ उपस्थित नहीं रहती है ऐसे में महिलाओं को डिलीवरी प्राइवेट अस्पतालों में करवानी पड़ रही है जो भी पीड़िता इस हॉस्पिटल में इलाज कराने जाती है उसे प्राइवेट हॉस्पिटल में सेटिंग के द्वारा शिफ्ट कर दिया जाता है क्षेत्र के झोलाछाप डॉक्टर गरीबों का खून चूस रहे हैं प्राइवेट हॉस्पिटलों में इमरजेंसी में इलाज के लिए पीड़ित गरीब लोगों को मोटी रकम चुकानी पड़ती है ।सरकार की आंख के नीचे गलत काम हो रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी लापरवाह बने हैं। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में तैनात आशा कार्यकर्ती कमीशन के चक्कर में प्राइवेट हॉस्पिटलों में सेटिंग बनाकर गरीबों का खून चूस रही है। अब देखने वाली बात है स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारी इस अस्पताल की जांच कर क्या कार्यवाही करते हैं।.