भारतीय नववर्ष मेला एवं चैती महोत्सव-2023 द्वितीय संध्या
लखनऊ , 23 मार्च 2023। तुलसी शोध संस्थान उ.प्र. के तत्वावधान में श्री रामलीला परिसर ऐशबाग में चल रहे भारतीय नववर्ष मेला एवं चैती महोत्सव-2023 की आज दूसरी संध्या में अवधी लोकगीतों संग राजस्थानी घूमर नृत्य की मनोरम छटा बिखरी।
भारतीय नववर्ष मेला एवं चैती महोत्सव-2023 का उद्घाटन संस्था के सचिव पं आदित्य द्विवेदी, हरीश चन्द्र अग्रवाल और प्रमोद अग्रवाल ने दीप प्रज्जवलित कर किया। कार्यक्रम में मयंक रंजन ने भारतीय नववर्ष मनाने के इतिहास पर विस्तार से चर्चा की।
संगीत से सजे कार्यक्रम का शुभारम्भ पूजा पान्डेय ने अपनी खनकती हुई आवाज मे कान्हा बरसाने मे आये जइहो अवधी लोकगीत से शुरुआत कर कलाप्रेमी श्रोताओं को भगवान श्री कृष्ण की भक्ति का रसापान कराया।
श्री कृष्ण जी के चरणों में समर्पित इस प्रस्तुति के उपरान्त पूजा पान्डेय ने अपनी सुमधुर आवाज में किशोरी से मिलने आए सखी रे मोर बन के, मीठे रस से भरी राधारानी, रसिया को नार बनाए रे अवधी लोकगीत को सुनाकर श्रोताओं को मंत्र मुग्ध कर दिया।
मन को मोह लेने वाली इस प्रस्तुति के बाद पूजा पांडेय के गाए अवधी होली गीत फगुनवा में रंग रस बरसे पर अखिल कश्यप, जितेंद्र, राहुल, दुर्गेश, गोपाल, हिमांशु, राज, मुस्कान पांडेय, सुमन यादव, जस्सी, निधि यादव, विशाल पांडेय, अनुष्का पाण्डेय और स्वरोही पांडेय ने फूलों से होली खेलते हुए आकर्षक नृत्य प्रस्तुत कर दर्शकों का दिल जीत लिया।
संगीत से सजे कार्यक्रम के अगले प्रसून में ध्वनि फाउंडेशन एवं आशा नृत्यांगना फाउंडेशन के कलाकारों ऋचा तिवारी, अनुराधा यादव, मनीषा यादव, उदयन तिवारी, अर्थव, ओशनिक, अनन्या, रिद्धिमा, अद्विति, दित्या, मानवी, गरिमा और काशवी ने ओ म्हारी घूमर छे नखराली ए गीत पर आकर्षक राजस्थानी घूमर नृत्य प्रस्तुत कर दर्शकों की असंख्य तालियां बटोरीं।
हृदय को हर्षातिरेक से भर देने वाली इस प्रस्तुति के उपरांत आंचल समाजोत्थान सेवा समिति के कलाकारों खुशी और शालिनी ने गुरु वन्दना पर आकर्षक नृत्य प्रस्तुत कर गुरू के महत्व से अवगत कराया। इसी क्रम में आरती शुक्ला और सृष्टि मिश्रा ने
शिवै शिवम, खुशी, शालिनी, सुप्रिया, सुदीक्षा अंशवी, समयुक्ता, माही एवं नान्हवी ने नये भारत का चेहरा गीत पर आकर्षक नृत्य प्रस्तुत कर सम्पूर्ण देश की संस्कृति की मनोरम छटा बिखेरी।
दिल को जीत लेने वाली इस प्रस्तुति के उपरान्त भास्कर बोस के निर्देशन में नाटक राजा दुष्यन्त एवं शकुन्तला का मंचन हृदयस्पर्शी रहा। नाट्य सरानुसार एक बार ऋषि विश्वामित्र ने ब्रह्मऋषि बनने के लिए कठोर तप किया, इससे भयभीत होकर इन्द्र ने मेनका को भेजा की ऋषि की तपस्या किसी भी तरह भंग करो, जिस पर वह विश्वामित्र की तपस्या भंग करती है औत उनके पुत्री की मां बन जाती है, इस घटना को जानकर इन्द्र मेनका वापस बुलाते हैं और मेनका की पुत्री शकुन्तला का विवाह राजा दुष्यंत के साथ हो जाता है और विपरित परिस्थिति में राजा को वापस जाना होता है, इस घटना के बाद परिस्थतिजन्य दुबारा से राजा दुष्यंत और शकुन्तला का मिलन हो जाता है।
सशक्त कथानक से परिपूर्ण नाटक राजा दुष्यंत एवं शकुन्तला में भाग लेने वाले कलाकार थे शंकर पाल, सैमुल, संजीत मंडल, प्रिंस, अपर्णा, प्रिया पांडेय व अन्य।