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एक झूठ से जुड़ते सौ झूठों ने हंसाकर सिखाया सबक

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संत गाडगे प्रेक्षागृह में पांच दिवसीय उर्मिल रंग उत्सव की चौथी शाम एक झूठ से जुड़ते सौ झूठों ने हंसाकर सिखाया सबक रमेश मेहता के लिखे ‘अंडर सेक्रेट्री’ से डा-थपलियाल का ‘बनाया साहब-मेमसाहब’ नये कलेवर में

लखनऊ, 19 जुलाई। अपने ‘स्टेटस’ दिखाने के लिए जी-जान से कोशिश में लगे मध्यवर्गीय समाज की सोच सामने रखने वाली रमेश मेहता की नाट्य कृति ‘अंडर सेक्रेट्री’ का डा.थपलियाल द्वारा उन्हीं के निर्देशन में तैयार किया मंचालेख ‘साहब-मेमसाहब’ एक नये कलेवर में संग गाडगेजी महाराज प्रेक्षागृह गोमतीनगर के मंच पर था। डा.उर्मिल कुमार थपलियाल फाउण्डेशन के उर्मिल रंग उत्सव की चौथी सांझ मंचकृति के कलाकारों ने प्रथमतः 2005 मे तैयार प्रस्तुति को संगम बहुगुणा के निर्देशन में पेशकर हंसा-हंसाकर सीख दी कि एक झूठ के पीछे सौ झूठ तो बोलने ही पडेगे, साथ ही जगहंसाई तो होगी ही और पोल भी खुल ही जाएगी।
छह दशक से भी ज्यादा पहले लिखे रमेश मेहता के इस नाटक की कथा में सरकारी मकान में रह रहे एक क्लर्क चांद की पत्नी सरोज अपनी सहेली पुष्पा से रुतबा झाड़ने के लिए पति को अंडर सेक्रेटी बता देती है। सहेली भी कम नहीं, वह भी अपने पति को डायरेक्टर के ओहदे पर बता देती है। पुष्पा जब सरोज के घर आने का प्रोग्राम तय करती है तो सरोज झूठा रुतबा बरकरार रखने के लिए फटाफट सारे घर का फर्नीचर, डेकोरेशन और क्रॉकरी वगैरह बदलवाने लगती है। आफिस से घर पहुंचा चांद सब जानकर हैरान रह जाता है। इसी दौरान चांद का कुंवारा लंगोटिया दोस्त किशोर उसके घर रहने आता है। यहां किशोर की आंखें घर में क्रॅकरी देने आई कांता से लड़ जाती हैं और घर के नौकर को बीमार पिता के पास गांव जाना पड़ता है। सरोज के सामने नौकर की समस्या आती है तो वह पहले किशोर को नौकर बनाना चाहती है पर बाद में स्मार्ट किशोर की जगह अपने सीधे पति चांद को नौकर बना लेती है। यहीं से प्रस्तुति में किरदारों की आदमरफ्त के बीच दर्शकों को भाने वाला जबर्दस्त परिस्थितिजन्य हास्य पैदा होने लगता है। अंततः पोल खुलने पर सारे सच सामने आते हैं। सुखांत नाटक में सब झूठ से तौबा करते हैं। अगले वर्ष फरवरी में अपने निर्देशित किये एक साथ 30 नाटक तैयार करने में उत्साह से जुटे रंगकर्मी संगम की यह कोशिश उत्सव में दर्शकों के लिए मनोरंजक रही तो डा.थपलियाल के लिए एक भाव भरी रंगांजलि भी।
प्रस्तुति मे मंच पर सरोज की भूमिका में तान्या सूरी के संग चांद- अमरेश आर्यन, किशोर- निमेष भण्डारी, नौकर-अंकुर सक्सेना, पुष्पा-लकी, कान्ता-आकांक्षा सिंह, पुष्पा का पति- आदर्श तिवारी व सूरज नारायण- हरीश बडोला दिखाई दिए। नेपथ्य में प्रकाश-गोपाल सिन्हा के संग मनीष सैनी, मुखसज्जा- शहीर, संगीत संकलन-आदर्श तिवारी, संगीत संचालन- आशुतोष विश्वकर्मा, वेशभूषा-नीतू सिंह और अन्य पक्ष अजय शर्मा, रविकांत शुक्ला, राजेश मिश्र, ममता प्रवीण व मालविका तिवारी का योगदान रहा।

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