भारत-तिब्बत समन्वय संघ की प्रेस वार्ता में बोले कि आक्रामक हो कर लड़ना होगा भारतीयों को चीन से
आगामी 30 अप्रैल को लखनऊ में क्षेत्रीय अधिवेशन में बीटीएसएस
तय करेगा नई रणनीति
लखनऊ, 11 अप्रैल। तिब्बत की आजादी और कैलाश मानसरोवर की मुक्ति भारत देश की अखंडता व संप्रभुता से प्रत्यक्ष जुड़ा हुआ विषय है। इस अलख जागरण में भारत तिब्बत समन्वय संघ यानी बीटीएसएस लगा हुआ है।
संघ के पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र के संयोजक राम कुमार सिंह ने आज लविवि के डीपीए सभागार में आयोजित पत्रकार वार्ता में कहा कि मोटे तौर पर तिब्बत सदियों तक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में रहा है लेकिन भारत में जन्मे भगवान बुद्ध की शांति व करुणा को पूरी तरह से आत्मसात करने वाला ऐसा देश रहा जिसके संबंध भारत से अत्यंत प्रगाढ़ रहे। आपसी प्रेम व स्नेह इतना प्रबल था कि सीमा रेखा पर दोनों तरफ से कभी कोई सेना तक न थी। जब तक तिब्बत स्वतंत्र अस्तित्व में था, तब तक हमें भी कोई खतरा न था। तिब्बत, जिसे सनातनी धर्म में त्रिविष्टप अर्थात स्वर्ग की भूमि कहा गया है, को 1959 में चीन द्वारा धोखे से हड़प लिया गया और वहां खून खराबा कर स्थिति बेहद खराब कर दी गई। 1959 में वहां से जान बचाकर हजारों तिब्बतियों के साथ दलाई लामा ने भारत में शरण ली। उसके बाद “हिंदी चीनी भाई भाई” का नारा लगाते हुए चीन ने हम पर 1962 में आक्रमण कर देश का बहुत बड़ा भूभाग हड़प लिया, जो आज भी उसके कब्जे में है। आज भी भारत की तिब्बत सीमा पर चीन दुष्टता व छल करता रहता है। डोकलाम व गलवान में भारत से हारने के बाद भी चीनी अपने उत्पात से बाज नहीं आते। चीन के खतरों से लड़ने के लिए लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक की साढ़े तीन हजार किलोमीटर लंबी सीमा रेखा पर भारत को अपनी सेना लगानी पड़ती है। इस पर हजारों रुपए प्रतिदिन खर्च होते हैं।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में अवध प्रांत अध्यक्ष कुशाग्र वर्मा ने कहा कि चीन के षडयन्त्रों से देश को बचाने के लिए भारत सरकार आज भी बहुत प्रयास कर रही है लेकिन यह प्रयास अब प्रत्येक भारतीय को करने की आवश्यकता है। देश की सुरक्षा के साथ-साथ शिव भक्तों का आह्वान भी भारत-तिब्बत समन्वय संघ कर रहा है। जो भोले बाबा के अपने मूल स्थान – मूल गांव यानी कैलाश मानसरोवर की चिंता करना चाहते हैं, उन्हें भी जोड़ रहा है। कैलाश-मानसरोवर तिब्बत में स्थित है लेकिन उस पर चीन द्वारा कब्जा कर लेने के बाद से वहां के दर्शन करने के लिए हम शिव भक्तों की राह में चीन इतने रोड़े अटकाता है कि वह चाहता है कि वहां कोई ना आए। इसलिए इस स्थान को भी चीन के चंगुल से मुक्त कराया जाना आवश्यक है। यह एक बड़ी लड़ाई है और यह जनता के उठ खड़े होने से ही संभव होगा इसलिए राष्ट्र रक्षा व धर्म रक्षा का यह युद्ध है, जो सरकार के साथ-साथ समूचे विश्व समुदाय को करना है। इसकी अगुवाई भारत तिब्बत समन्वय संघ कर रहा है।
संघ के मुख्य प्रांत संयोजक हिमांशु सिंह ने कहा कि चीन वास्तव में कोरोनावायरस देने वाला, हर प्रकार के आतंक को प्रायोजित करने वाला और दुनिया का सर्वाधिक दमनकारी सोच रखने वाला एक ऐसा देश है, जो मानवता पर कलंक है इसलिए सब को जागरूक होना होगा। मीडिया का भी सहयोग इसमें अपेक्षित है। इसी दिशा में पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र के चारों प्रांतों (अवध प्रांत, कानपुर-बुंदेलखंड प्रांत, गोरक्ष प्रांत और काशी प्रांत) के प्रमुख पदाधिकारियों के साथ आगामी 30 अप्रैल दिन शनिवार को क्षेत्रीय अधिवेशन लखनऊ में करने जा रहे हैं। इसका प्रमुख विषय यही है कि हमें आक्रामक होकर कार्य करना होगा। यह शुभ समय है क्योंकि देवों के देव महादेव द्वारा स्थापित नाथ परंपरा के वाहक योगी आदित्यनाथ जी वर्तमान में उत्तर प्रदेश के सशक्त व पवित्र भाव वाले मुख्यमंत्री हैं इसलिए कैलाश मानसरोवर व तिब्बत को चीन के चंगुल से मुक्त कराए जाने की दिशा में हम तेजी से बढ़ेंगे। इस प्रकार की रणनीति बनाने में हमें जनता को प्रखर राष्ट्रवाद व मुखर धर्म वाद के साथ खड़ा करना ही एकमात्र लक्ष्य है। लक्ष्य है, शांति के लिए क्रांति करने का। इसमें हमें आप सबका सहयोग चाहिए क्योंकि यह एक प्रकार से देश की आजादी का दूसरा चरण शुरू होने जैसा है।
संगठन का परिचय देते हुए प्रांत संरक्षक महेश नारायण तिवारी ने कहा कि भारत-तिब्बत समन्वय संघ वास्तव में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के चतुर्थ सरसंघचालक प्रो राजेंद्र सिंह उपाख्य रज्जू भैया व परम पावन दलाई लामा जी की प्रेरणा से प्रारंभ किया गया संगठन है। जिसमें मार्गदर्शक के रुप में राष्ट्रीय संघ सेवक संघ के प्रचारक अधीश जी (स्मृति शेष) एवं श्री हंस देवरहा बाबा का आशीर्वाद मिला है। हालांकि स्वतंत्र रूप से इस विषय पर लंबे समय से कार्य करने के बाद कार्यकर्तागण ने औपचारिक रूप से इसका गठन 14 जनवरी 2021 अर्थात मकर संक्रांति के दिन पूरे देश में शंकर भगवान के समक्ष संकल्प लेकर स्थापित किया।
पूर्व संघ प्रचारक व पूर्व राज्यपाल (हरियाणा व त्रिपुरा) प्रो कप्तान सिंह सोलंकी जिसके केंद्रीय संरक्षक, प्रसिद्ध पशु व कीट विज्ञानी प्रो प्रयाग दत्त जुयाल जी राष्ट्रीय अध्यक्ष, प्रसिद्ध तिब्बती मानवाधिकार कार्यकर्ता श्रीमती नामग्याल सेकी राष्ट्रीय अध्यक्ष (महिला विभाग) और लोकप्रिय नेतृत्वकर्ता श्री नीरज सिंह राष्ट्रीय अध्यक्ष (युवा विभाग) हैं। देश में सैकड़ों-हजारों की संख्या में पूर्व सैन्य अधिकारी, वैज्ञानिक, शिक्षाविद, इंजीनियर, पत्रकार, अधिवक्ता, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व प्रचारकगण, मानवाधिकार कार्यकर्तागण, संतगण शामिल होकर इस युद्ध में आगे बढ़ रहे हैं। दुनिया में कैलाश-मानसरोवर की मुक्ति व तिब्बत की आजादी के लिए सबसे तेजी से बढ़ता हुआ यह संगठन विश्वव्यापी हो, इस दिशा में विदेश विभाग की रचना करके भी काम हो रहा है। साथ ही हर वर्ग को जोड़ कर कार्य हो, इसके लिए 18 प्रभागों की रचना भी की गई है। देश के लगभग सभी प्रांतों में संगठन की रचना हो चुकी है और अब शीघ्र ही संघ के वरिष्ठ पदाधिकारीगण देश में राष्ट्रपति जी से मिलने जा रहे हैं, जहां वह इन उद्देश्यों की पूर्ति के संबंध में उन्हें अवगत कराएंगे। प्रेस वार्ता में संघ के वरिष्ठ अधिकारियों में अनीश लाल श्रीवास्तव, सचिन श्रीवास्तव, रजिता दुबे, अनूप बाजपेयी, रवितेश प्रताप सिंह, विशाल वर्मा, मुकेश तिवारी, विवेक वर्मा इत्यादि उपस्थित रहे।