रवीन्द्रालय चारबाग में लखनऊ पुस्तक मेले का दूसरा दिन
दुश्वार मौसम भी डिगा न पाया साहित्य प्रेमियों का उत्साह
लखनऊ, 3 मार्च। किताबों के लिये मौसम दुश्वार होने के बावजूद यहां रवीन्द्रालय चारबाग लान के वाटरप्रूफ पाण्डाल में चल रहा लखनऊ पुस्तक मेला आयोजनों और पुस्तक प्रेमियों की चहल पहल से भरा रहा। आज पुस्तक मेले का दूसरा दिन था। पाण्डाल में आज गीत संगीत के बीच विविध विषयों की आधा दर्जन से अधिक किताबों का विमोचन साहित्य प्रेमियों को आह्लादित कर गया।
ऊपर कड़कती बिजली के साथ नीर भरी बदली थी तो नीचे मेले के स्टालों में कागज पर काले अक्षरों में दर्ज अप्रतिम ज्ञान, अनुभूति व नवरस प्रदान करने वाली हजारों किताबें और ढेरों पुस्तक प्रेमी। वर्चुअल क्लाउड पर डाटा और किताबें सहेजने से अलग मेले में किताबों के रसिक पुस्तक प्रेमी आज जयशंकर प्रसाद की चन्द्रगुप्त, स्कंदगुप्त व कामायनी, भगवान सिंह की अपने अपने राम, नेहरू की हिंदुस्तान की कहानी, मुनव्वर राना, गालिब, मीर, जौक, फिराक और नीरज की शायरी के संग प्रेमचन्द की गोदान जैसी पसंदीदा किताबें ले जाते दिखे। मेले की साहित्य कला संस्कृति की थीम पर निःशुल्क प्रवेश वाले मेले में हर किताब पर कम से कम 10 प्रतिशत की छूट मिल रही है।
आज के कार्यक्रमों की शुरुआत विश्वम फाउण्डेशन की ओर से बीएचयू के युवा कलाकारों श्रेय विश्वकर्मा के सितार और पार्थ चतुर्वेदी के तबला संगत में शास्त्रीय प्रस्तुति से हुई। वैदेही वेल्फेयर फाउण्डेशन की रंगबिरंगी गीत-नृत्य प्रस्तुतियों से हुई। पेशे से सर्जन रहीं डा.रुचि श्रीवास्तव की साहित्यिक कृतियों बाल कविता संग्रह सीखे बातें खेल-खेल में, किशोर कथा संग्रह कोमल मन के धागे और वयस्क कथा संग्रह बिखरे रंगों का चित्र के लोकार्पण समारोह में अध्यक्षता पूर्व पुलिस महानिदेशक साहित्यकार महेशचंद्र द्विवेदी ने की। समारोह लेखक डा.राकेश चंद्रा, श्रीमती अंजना मिश्रा व साहित्यकार श्रीमती नीलम राकेश अतिथियों के रूप में मंचासीन रहीं। डा.रुचि ने सर्जन के चाकू से कलम पकड़ने तक की अपनी यात्रा को बताया। वक्ताओं ने कहा कि डा.रुचि कहानियां स्त्री जीवन के विभिन्न आयामों को सकारात्मकता से परिभाषित और प्रेरित करने वाली हैं। बच्चों और किशोरों की रचनाएं मनोविज्ञान को समझते हुए लिखी हैं। बच्चों की कविताएं सरल और रोचक हैं तो किशोरों की कहानियां कोमल मन को संवेदनशीलता के साथ संस्कारित करने वाली हैं। इसी क्रम में अलका प्रमोद के संचालन में संजीव जायसवाल की तीन कृतियों डायमंड प्रकाशन द्वारा प्रकाशित मेरी 51 कहानियां, प्रकाशन विभाग द्वारा श्रेष्ठ लोक कथाएं और आदविक प्रकाशन द्वारा प्रकाशित सूर्य की अर्धांगिनी का विमोचन व्यंग्यकार केके अस्थाना, दूरदर्शन अधिकारी आत्म प्रकाश मिश्र व आकाशवाणी अधिकारी मीनू खरे की मौजूदगी और विचार व्यक्त करने के बीच हुआ। निखिल प्रकाशन द्वारा प्रकाशित ज्योति किरन रतन के संचालन व एमएम शर्मा के संयोजन में आज विमोचित कथा संग्रह बिखरे रंगों का चित्र के साथ ही डा.रेनू द्विवेदी की लिखी नटखट रिंकू, सुरभि सिंह की लिखी नन्ही फुलवारी और जाह्नवी शुक्ला की लिखी सेलेस्टिल वर्सेज पर विद्वानों की चर्चा चली। पहले विजय त्रिपाठी ने वाणी वंदन किया। नरेन्द्र भूषण की अध्यक्षता में 12 वर्ष पूरे कर रही रेवान्त पत्रिका के कार्यक्रम का पहला सत्र लोकविदुषी प्रो.कमला श्रीवास्तव को समर्पित मन्जू श्रीवास्तव, यूपिका व मन्जूलता के भजनों के नाम रहा। दूसरे सत्र में रेवान्त साहित्य गौरव सम्मान प्रदान करने के साथ ही पत्रिका की सम्पादक डा.अनीता श्रीवास्तव, सुधा मिश्रा, अनीता गयेड़ा, विजय पुषपम, विनयकुमार श्रीवास्तव, निशा सिंह, प्रतिमा वर्मा, वर्षा श्रीवास्तव, वन्दना विशेष, राजेश राय व सरोज सिंह ने अनिल मिश्र, कुसुम वर्मा, डा.शोभा दीक्षित, भावना’ नीमा पन्त, भुवन पन्त, निशा मिश्रा और हरिमोहन बाजपेयी माधव जैसे अतिथियों के बीच काव्य पाठ किया।
आज के कार्यक्रम 04 मार्च
पूर्वाह्न 11ः00 बजे युवाओं के कार्यक्रम
अपराह्न 2ः00 बजे काव्या सतत् प्रवाह का काव्य समारोह
अपराह्न 3ः30 बजे शारदेय प्रकाशन द्वारा पुस्तक चर्चा
शाम 5ः00 बजे हेल्पिंग हार्ट फाउण्डेशन की स्वास्थ्य चर्चा
शाम 6ः30 बजे भुशुण्डि साहित्य संस्थान काव्यगोष्ठी