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नृत्य में भगवान शिव संग राम अवतरित हुए 

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भारतीय नववर्ष मेला एवं चैती महोत्सव- चौथी सांस्कृतिक सन्ध्या

लखनऊ, 12 अप्रैल 2024। तुलसी शोध संस्थान उत्तर प्रदेश अन्तर्गत श्री राम लीला समिति ऐशबाग के तत्वावधान में तुलसी रंगमंच श्री राम लीला परिसर में चल रहे दस दिवसीय भारतीय नववर्ष मेला एवं चैती महोत्सव-2024 की आज की चौथी सांस्कृतिक सन्ध्या में नृत्य में भगवान शिव संग राम अवतरित हुए।

भारतीय नववर्ष मेला एवं चैती महोत्सव की चौथी संध्या का शुभारंभ पायनियर मांटेसरी स्कूल के छात्र छात्राओं ने भक्ति गीत – नृत्य से कर दर्शकों को मंत्र मुग्ध किया। इस प्रस्तुति के उपरान्त सुरभि कल्चरल ग्रुप के कलाकारों कनक गोंड, सांची कुमारी, अक्षिता सिंह, अंशिका सिंह ने बिनती सुनिए नाथ हमारी, जया सिंह ने श्रीराम चन्द्र कृपाल भजमन पर आकर्षक नृत्य प्रस्तुत कर मंच पर भगवान श्री राम के व्यक्तित्व को उजागर किया।

इसी क्रम में विदुषी शुक्ला, क्रिस्टल, अनाया गौतम,  आद्रित्या सिंह ने आवो पधारो गोरी रे देश, शिक्षा अग्रवाल ने शिवा शंकरा और पलक शर्मा, करीना ठाकुर, गुनगुन कौर, अनन्या कुमारी ने आज राधा को श्याम याद आ गया पर आकर्षक नृत्य प्रस्तुत कर दर्शकों का दिल जीत लिया। नृत्य निर्देशन था नेहा आर्या और शैलेंद्र सक्सेना का। अगले सोपानों में अनुरूप डांस अकादमी के कलाकारों ने अनुष्का श्रीवास्तव के नृत्य निर्देशन में भगवान श्री कृष्ण की जगप्रसिद्ध लीलाओं को प्रस्तुत किया।

भक्ति संगीत से सजे कार्यक्रम के अगले प्रसून में पदमजा कला संस्थान के कलाकारों ने डॉ आकांक्षा श्रीवास्तव के नृत्य निर्देशन में ईश्वर के अनेक स्वरूपों को मंच पर अवतरित किया। शिव वंदना करपूर गौरम करुणावतारां पर प्रखर मिश्रा, अनेश रावत, विकास अवस्थी, अतुल माने, प्रीति तिवारी एवं सिमरन कश्यप ने भावाभिनय नृत्य की मनोरम छटा बिखेरी।

इसी क्रम में श्रेया अग्रहरि, परिनिका श्रीवास्तव, मंगला श्रीवास्तव, अनामिका यादव, वैष्णवी सक्सेना, रीतिका, आदित्य गुप्ता एवं मोहित सोनी ने बंदिश की उत्कृष्ट प्रस्तुति दी, जिसमें कथक नृत्य के पारंपरिक स्वरुप पद संचालन, चक्करों के प्रकार, कवित और  टुकड़े समाहित थे। मन को मोह लेने वाली इस प्रस्तुति के उपरान्त भास्कर बोस के निर्देशन में मंचित नाटक धन्ना भगत ने दर्शकों को देर तक अपने आकर्षण के जाल में बांधे रखा।

हृदय को सम्मोहित करती इस प्रस्तुति के उपरान्त देवांशी तिवारी ने अपनी प्रस्तुति की नींव श्री राम चंद्र कृपाल भजमन पर रख कर दर्शकों को भगवान श्री राम के साक्षात दर्शन अपने नयनाभिराम नृत्य से कराये। इसी क्रम में देवांशी ने पारम्परिक कथक के अलावा रामाष्टकम प्रस्तुति में भगवान श्री राम के व्यक्तितत्व संग उनकी महत्ता का बखान अपनी वर्षों की नृत्य तपस्या से दर्शाया।

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