लखनऊ 17 अक्टूबर।
दशहरे के पश्चात अश्विनी मास की पूर्णिमा को
महर्षि वाल्मीकि जयंती एक त्योहार के रूप में मनायी जाती है – एक प्रसिद्ध कवि जो जिसने धर्म के सबसे महत्वपूर्ण महाकाव्यों में से एक, रामायण के लेखक की रचना संस्कृत में की ।
इस दिन को वाल्मीकि समुदाय द्वारा बाल्मीकि प्रकट दिवस के रूप में मनाते है। जो अश्विन मास की पूर्णिमा पर पड़ती है। इस पावन अवसर पर संस्कृति विभाग एवम जिला प्रशासन लखनऊ के सौजन्य से प्राचीन बालाजी हनुमान मंदिर एवरेडी चौराहे लखनऊ पर ज्योति किरन रतन के दल द्वारा बाल्मीकि रामायण और भजन संध्या का आयोजन संपन्न किया गया। इस अवसर पर मंदिर महंत ने बताया कि ऋषि वाल्मीकि एक राजमार्ग डाकू थे। उनका पुराना नाम रत्नाकर था। वे अपने शुरुआती जीवन में लोगों को लूटते थे। जब उनकी मुलाक़ात नारद मुनि से हुई, तो उनके जीवन में एक बड़ा बदलाव आया। उन्होंने भगवान राम का अनुसरण करना शुरू कर दिया और कई सालों तक ध्यान किया।
एक दिन एक दिव्य वाणी ने उनके प्रायश्चित को सफल घोषित कर दिया। उनका नाम बदलकर वाल्मीकि रख दिया गया। सनातन संस्कृति में बाल्मीकि का संस्कृत कवि के रूप में आध्यात्मिक महत्व है।
ऋषि बाल्मीकि को पौराणिक संस्कृत भारतीय महाकाव्य रामायण लिखने का श्रेय है। रामायण, भगवान राम, उनकी पत्नी सीता और उनके साथी हनुमान की कहानी बताती है। श्रद्धा के साथ, भक्त वाल्मीकि जयंती मनाते हैं साथ ही , रामायण की कविताओं का पाठ करते हैं ।महाकाव्य में में सिखाए गए पाठों और आदर्शों पर विचार करने का दिन के रूप में मनाते हैं यह ज्ञान, नैतिकता और रामायण द्वारा सिखाए गए शाश्वत पाठों का उत्सव है । इस अवसर पर ज्योति किरन रतन के साथ ईशा रतन, सहयोगी गौरव गुप्ता गायन पर , अशोक सिंथेसाइजर,उमेश चंद्र विश्वकर्मा,बबलू, हनुमत शरण, सचिन चतुर्वेदी, पार्वती गुप्ता, अरविंद गुप्ता,शशि सिंह,शरद श्रीवास्तव,रमन, बिन्दु सोनी, साधना सिंह ,रीता गुप्ता । सहित तमाम राम भक्त परिसर में उपस्थित थे।