एक एकड़ में बनेगा मंदिर, 81 फीट ऊंचा शिखर, बनेगा माता उर्मिला वृद्धाश्रम
लखनऊ, 12 मई। गोहनाकला जानकीपुरम विस्तार में आज मध्यान्ह् रामानुज श्री लक्ष्मणजी के मंदिर की आधारशिला वैदिक मंत्रोच्चार के बीच रख दी गयी। लखनलाल के बसायी मानी गयी लक्ष्मणपुरी के नाम से भी विख्यात इस नगरी में अगले पांच वर्षों में निर्माण पूरा होने पर श्री लक्ष्मण जी के मंदिर के शिखर पर घ्वजा लहराने लगेगी। श्रीलक्ष्मण-उर्मिला जी के दिव्य स्वरूप के साथ मंदिर में शिव परिवार और श्रीराम दरबार के दर्शन भी श्रद्धालुओं के सुलभ होंगे। इसके साथ ही एक एकड़ क्षेत्र में बन रहे इस मंदिर में अशक्त-वृ़द्धाओं के लिए माता उर्मिला वृद्धाश्रम भी खोला जायेगा।
श्री लक्ष्मण पीठ सेवा न्यास के सौजन्य से तैयार हो रहे इस मंदिर का भूमि पूजन अध्यक्ष व रामकथा प्रवक्ता पण्डित धीरेन्द्र वशिष्ठजी महाराज ने विधिपत पंच पुरोहितों की अगुवाई में वेद मंत्रों की गूंज के बीच सपत्नीक बैठकर किया। इस अवसर पर संतों के साथ पद्मश्री विद्याविंदु सिंह, डा.नलिनकांत त्रिपाठी, पूर्व न्यायाधीश विद्यासागर विश्वकर्मा व रामाधार सिंह, शशिकांत श्रीवास्तव, डा. ऊषा बाजपेयी, प्रेम नारायण मेहरोत्रा व अन्य न्यासी और अन्य गणमान्य नागरिक उपस्थित थे। भूमि पूजन के बाद पद्मविभूषण जगत गुरु रामानन्दाचार्य स्वामी रामभद्राचार्यजी महाराज के दीक्षा प्राप्त शिष्य व न्यास के अध्यक्ष धीरेन्द्र वशिष्ठजी महाराज ने बताया कि अपने गुरु की इच्छापूर्ति के लिए वह 2017 से निरन्तर लखनऊ में श्रीलक्ष्मण मंदिर के निर्माण के लिए कृतसंकल्पित हैं। पूरे देश में भिक्षाटन करके पिछले वर्ष ही श्रीलक्ष्मण मंदिर बनाने के लिए भूमि ली गयी। अब भूमि पूजन अनुष्ठान के बाद मंदिर निर्माण प्रारम्भ हो जायेगा। भूमि पूजन के बाद ही यहां देर रात तक चलने वाला भण्डारा भी प्रारम्भ हो गया। मंदिर के वास्तुकार मीनाक्षी तिवारी व सुनील श्रीवास्तव हैं। सेवा न्यास मंदिर के साथ ही यहां माता उर्मिला के नाम पर 45 कक्षों का जरूरी सुविधाओं से युक्त वृ़़द्धाश्रम भी बनेगा।
इस अवसर पर यहां उपस्थित आसपास के क्षेत्रों के श्रद्धालुओं को संतों के आर्शीवचन भी मिले। क्षेत्रीय जनता और करीब के ग्राम प्रधानों का भी आयोजन में सहयोग रहा। साथ ही अतिथियों ने सम्बाेधत किया। संगीतज्ञ और स्वामी पागलदास के शिष्य डा.राज खुशीराम ने यहां मृदंग वादन कर शास्त्रीय सुरों की अलख जगायी तो भजन किशोर चतुर्वेदी ने भजन संध्या में राम स्तुतियों के संग लक्ष्मण की विशेष स्तुति और हनुमत भजनों का मधुर गायन किया।