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मनकामेश्वर मठ-मंदिर में भगवान भोलेनाथ को अबीर-गुलाल अर्पण कर रंगोत्सव की शुरूआत की गई।

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लखनऊ । लखनऊ में आदिगंगा के गोमती के तट पर स्थापित प्राचीन श्रीमनकामेश्वर मठ-मंदिर में फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी, शुक्रवार को भगवान भोलेनाथ को अबीर-गुलाल अर्पण कर रंगोत्सव की शुरूआत की गई। मंदिर की श्रीमहंत देव्यागिरी जी ने भोलेनाथ को अबीर लगाया। उन्होंने मठ के पूर्व में रहे महंत की प्रतिमाओं पर भी अबीर-गुलाल लगाकर नमन् किया। इसके अलावा मंदिर में श्रीराधा-कृष्ण की रासलीला हुई और फूलों की होली भी खेली गई। इस अवसर पर काफी संख्या मंे भक्त उपस्थित थे। भोलेनाथ के जयकारों से मंदिर गुंजायमान हो उठा।
श्रीमहंत देव्यागिरी महाराज ने सबसे पहले मंदिर के महंत रहे चुके श्रीबाबा रामगिरी जी महाराज, श्रीबालकगिरी जी महाराज, श्रीकेशव गिरी जी महाराज, श्रीबाबा बजरंग गिरी जी महाराज व श्रीत्रिगुुणनगिरी जी महाराज की प्रतिमाओं पर अबीर और पुष्प अर्पित किए। इसके बाद उन्होंने भगवान मनकामेश्वर को अबीर और पुष्प अर्पण कर नमन् किया। इस मौके पर भक्तों ने भोलेनाथ के जयकारें लगाए।
इसके बाद मंदिर की मुख्य कार्यकर्ता उपमा पाण्डेय ने श्रीमहंत को चरणों में अबीर, पुष्प अर्पित कर उनकी आरती उतारी और प्रणाम किया। तत्पश्चात् अन्य महिला व पुरूष भक्तो ने उनके चरणों पर अबीर और पुष्प अर्पित किए। मंदिर के सेवादारों ने उन पर चारों ओर से पुष्प वर्षा की। शहर के प्रदीप नटराज रासलीला मण्डली के कलाकारों ने होली पर राधा-कृष्ण की छेड़छाड़ से भरी नृत्य लीला प्रस्तुत की। भक्तों ने इस मनमोहक लीला का आनंद उठाया।
महंत देव्यागिरी ने रंगभरी एकादशी के महत्व पर बताया इस तिथि पर संतों की होली होती है, वे भगवान को रंग अर्पण कर त्योहार की शुरूआत करते है, और उसके बाद सामान्य जनमानस की होली है। होला पर अपना संदेश देते हुए कहा कि होलिका दहन का महत्व है। इसको हवन के तौर पर लेना चाहिए। इकोफ्रेडली होली खेलना चाहिए। ऐसी कोई भी वस्तु होलिका में जलाए, जिससे वातावरण प्रदूषित हो । आपस में सौहार्द पूर्ण तरीके होली खेलकर त्योहार का आनंद उठाए।

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