गुरुवार, 17 नवंबर। राजधानी की युवा नृत्यांगना मीशा रतन रूट्स टू रूट्स प्रदेश के विद्यालयों में नवयुवा छात्र – छात्राओं को सांस्कृतिक विरासतों के प्रति जागरूक करते हुए शास्त्रीय नृत्य कथक की कार्यशालाओं में प्रशिक्षित कर रही हैं।
रूट्स टू रूट्स 2014 से भारत और विदेशों में सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रमों में लगी एक गैर-लाभकारी संस्था है। एक पृष्ठभूमि के रूप में संस्कृति पर इस विश्वास के साथ कि एक दूसरे की संस्कृतियों की समझ सहिष्णुता और अंततः आपसी सम्मान और शांति को जन्म देती है। ये संगठन वैश्विक स्तर पर काम कर रहा है। परस्पर विरोधी क्षेत्रों के बीच संस्कृति के माध्यम से लोगों से लोगों के संपर्क को बढ़ावा देने के लिए संस्था विभिन्न देशों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रमों में शामिल है। यह संस्था “एक्सचेंज फॉर चेंज” कार्यक्रम में लगी और 31 से ज्यादा स्कूलों से जुड़ी है और 20 हजार से अधिक बच्चों को पढ़ाती प्रशिक्षित करती है।
हाल ही में, रूट्स टू रूट्स ने पढ़ाई के साथ-साथ युवाओं को ऑनलाइन और भौतिक कार्यशालाओं के माध्यम से कला और संस्कृति सिखाने और प्रेरित करने की इस उत्कृष्ट पहल की शुरुआत की है, जो महामारी के बाद, रूट्स टू रूट्स ने विभिन्न केवी, जेएनवी और सरकार को कवर करने वाले विभिन्न शहरों और राज्यों में भौतिक कार्यशालाओं की पहल की है।
कथक जोड़ी रतन सिस्टर्स की मीशा रतन ने गत 4 नवंबर से प्रारम्भ रूट टू रूट्स के सफर में शाहजहांपुर, सीतापुर, हरदोई, फतेहपुर, के बाद कार्यशाला का आयोजन यहां केंद्रीय विद्यालय की गोमतीनगर, पीजीआई शाखा, बीकेटी शाखा, मैमोरा शाखा, आरडीएसओ शाखा, कैंट शाखा, आईआईएम शाखा,अलीगंज शाखा के साथ ही केवी बाराबंकी में हुआ। जहां शिक्षकों की उपस्थिति में छात्र-छात्राओं व कर्मचारियों ने भाग लिया। कथक की प्रारंभिक जानकारी सीखने के साथ कला संस्कृति के इस प्रयास में आगे शिवगढ़ रायबरेली, जगदीशपुर और सुल्तानपुर में मीशा रतन की कथक कार्यशालाओं का आयोजन होगा।