रामोत्सव-2023 नवां दिन
लखनऊ, 23 अक्टूबर 2023। भारत की सबसे प्राचीनतम रामलीला समिति, श्रीराम लीला समिति ऐशबाग लखनऊ के तत्वावधान में रामलीला मैदान के तुलसी रंगमंच पर चल रही रामलीला के आज नवें दिन रामा दल में हनुमान का चूड़ामणि देना, दरबार से विभिषण का निष्कासन, राम विभीषण मिलन, विभीषण राज्याभिषेक, समुद्र पूजा, सेतुबंध स्थापना, रावण अंगद संवाद, युद्ध घोषणा, दुरमुख वध, कुम्भकरण रावण संवाद, कुम्भकरण वध, नाग फांस, लक्ष्मण शक्ति, संजीवनी लाना और मेघनाथ वध लीला हुई।
इसके पूर्व आज राम लीला में मुख्य अतिथि के रूप में उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का उदघाटन किया। इस अवसर पर श्री राम लीला समिति ऐशबाग के अध्यक्ष हरीशचन्द्र अग्रवाल और सचिव पं0 आदित्य द्विवेदी ने उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक को पुष्प गुच्छ, अंग वस्त्र और स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया।
राम लीला से पूर्व नृत्य सुन्दरम डांस स्टुडियो के कलाकारों पीयूष पान्डेय, नन्दिनी और स्वरा त्रिपाठी ने भक्ति नृत्य की सरिता प्रवाहित की। आज की रामलीला का आरम्भ हनुमान का चूड़ामणि देना, राम विभीषण मिलन, विभीषण राज्याभिषेक लीला से हुआ, इस प्रसंग में हनुमान जी जब लंका से लौटकर माता सीता जी की चूड़ामणि राम जी को देते हैं तो रामदल में हर्ष की लहर फैल जाती है कि माता सीता सुरक्षित हैं। इस दौरान हनुमान जी लंका में घटी सभी घटनाओं को विवरण राम जी को बताते हैं। इसके बाद राम और विभीषण का मिलन होता है और विभीषण के राज्याभिषेक की तैयारी होती है और विभीषण का राज्याभिषेक धूमधाम से किया गया।
इस प्रसंग के उपरान्त समुद्र पूजा लीला, सेतुबंध स्थापना, रावण अंगद संवाद लीला हुई, इस प्रसंग में राम, लक्ष्मण, हनुमान, अगंद, जामवन्त सहित तमाम वानर सेना जब समुद्र पार करना चाहती है तो राम जी कहते हैं कि पहले समुद्र देव से आज्ञा ले लें फिर समुद्र पार किया जाये, इस पर भगवान राम समुद्र की तीन दिन तक पूजा करते हैं लेकिन समुद्र सेना को मार्ग नहीं देता, इस बात से नाराज होकर राम जी जब समुद्र पर वाण चलाने जाते हैं वैसे ही समुद्र राम जी के सामने प्रकट होकर क्षमा याचना मांगता है और मार्ग बनाने के लिए अपनी सहमति देता है। यह सुनकर रामादल के वानर सैनिक समुद्र पर पत्थर डालते हैं लेकिन जैसे ही वह पत्थर डालते हैं पत्थर डूब जाते हैं तब भगवान कहते हैं कि बिना शिवजी की आज्ञा के यह सम्भव नहीं इसके बाद राम जी समुद्र पर शिवलिंग की स्थापना करके पूजा आराधना करते हैं और राम दल के सैनिक समुद्र पर पत्थर डालते हैं ओर देखते ही देखते कुछ सप्ताह में सेतु का निर्माण हो जाता है। इसके बाद राम जी और उनकी समस्त सेना समुद्र पार कर लंका की सीमा में प्रवेश करती है। इस बात की भनक जब रावण को लगती है कि लंका सीमा पर राम की सेना डेरा डाले है तब वह अपने गुप्तचरों को भेजता है कि उनकी ओर से क्या रणनीति है। इसके बाद राम जी अगंद को लंका भेजते हैं कि रावण को समझाओं कि युद्ध न हो और माता सीता को वह ससम्मान भेज दे। इस पर जब अंगद रावण के दरबार में जाते हैं तो रावण अंगद से कहता है कि यहां पर किस प्रयोजन से आए हो, इस पर अगंद कहते है कि पहले दूत का सम्मान करो इस बात पर अंगद नाराज हो जाते हैं और अपनी पूंछ से वह रावण से बड़ा सिंहासन बना कर बैठ जाते हैं और कहते हैं कि वह राम की शरण में चले जाये और युद्ध की विभीषिका से बचा जाए।
इस लीला के बाद युद्ध घोषणा, दुरमुख वध, कुम्भकरण रावण संवाद, कुम्भकरण वध लीला हुई, इस प्रसंग में रामदल में हलचल मचती है कि रावण किसी तरह से मान नहीं रहा है इसलिए अब युद्ध ही एकमात्र ही विकल्प है और रामादल में युद्ध की तैयारी शुरू हो जाती है। इसके बाद रावण की सेना में खलबली मच जाती है और उसकी ओर से कई वीर सैनिक मारे जाते हैं तब रावण अपने भाई कुम्भकरण को बुलवाता हैं लेकिन वह अपनी निद्रा में पड़े रहते हैं तब उनको विभिन्न प्रकार के उपाय करके जगाया जाता है और कुम्भकरण भी भगवान राम के वाणों से मारा जाता है।
मन को मोह लेने वानी इस प्रस्तुति के उपरान्त नाग फांस, लक्ष्मण शक्ति, संजीवनी लाना और मेघनाथ युद्ध लीला हुई, इस प्रसंग में रावण की ओर से मेघनाथ राम और लक्ष्मण से युद्ध करने के लिए आते हैं और कई बार प्रयास के बाद मेघनाथ लक्ष्मण पर शक्ति वाण चलाता है और लक्ष्मण जी मूर्छित होकर गिर जाते हैं, इसके बाद राम की सेना में हाहाकर मच जाता है तब वैद्य सुषैण हनुमान से कहते हैं कि हिमालय पर्वत पर सजीवनी बूटी मिलेगी और यह सुबह होने से पहले ही चाहिए इसको सुनकर हनुमान जी हिमालय से संजीवनी बूटी लाते हैं और लक्ष्मण पुनः स्वस्थ होकर उठ जाते हैं और राम जी को गले लगाते हैं और लक्ष्मण जी पुनः मेघनाथ से युद्ध करते हैं और मेघनाथ का लक्ष्मण के हाथों वध होता है।