लखनऊ : अयोध्या निवासी 39 वर्षीय, मोहम्मद फरमान खान को पिछले 5-6 दिन से बुखार आ रहा था। इसके साथ ही उन्हें पेट में तकलीफ हुई और सांस भी फूल रही थी। डॉक्टर ने उन्हें कुछ दवाएं दी, लेकिन कोई आराम नहीं मिला। इस पर मरीज ने एक नर्सिंग होम में दिखाया, जहां भर्ती करके इलाज शुरू हुआ लेकिन तकलीफ कम नहीं हुई। एक रिश्तेदार ने सहारा हॉस्पिटल में इलाज करवाने की सलाह दी कि उन्होंने कई साल पहले अपने पिता का इलाज कराया था, जिससे वह काफी संतुष्ट थे। उनकी सलाह पर मरीज को सहारा हॉस्पिटल की इमरजेंसी में इंटरनल मेडिसिन की वरिष्ठ चिकित्सक डॉ.दीपाली मोहंती के सुपरविजन में भर्ती कराया गया। इसके बाद डॉक्टर ने कुछ जांचें करायी, जिससे मरीज के फेफड़ों में इंफेक्शन का पता चला तब इंफेक्शन कम करने के लिए कुछ समय के बाद मरीज को मेडिकल आईसीयू में शिफ्ट कर दिया गया। मरीज इस दौरान पीलिया से भी ग्रसित था। उसकी पल्स रेट 25-26 पर थी और ऑक्सीजन लेवल भी बहुत कम था। ऐसे में मरीज को सहारा हॉस्पिटल की इंटरनल मेडिसिन की वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. दीपाली मोहंती और पल्मोनोलॉजिस्ट डा. मनोज अग्रवाल, गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट डॉक्टर अंकुर गुप्ता एवं आई सी यू स्टाफ के संयुक्त प्रयास से वेंटिलेटर का सपोर्ट दिया गया जिससे मरीज को खतरे से बाहर निकालने में सफलता मिली। मरीज अब पूरी तरह स्वस्थ है। बेहतर इलाज मिलने पर मरीज और उसके परिजनों ने सहारा हॉस्पिटल के डॉक्टरों के प्रति आभार जताया।
सहारा इंडिया परिवार के वरिष्ठ सलाहकार अनिल विक्रम सिंह ने बताया कि मुख्य अभिभावक “सहाराश्री” जी ने हमें विश्वस्तरीय सहारा हॉस्पिटल दिया है, जहां कुशल चिकित्सक दिन-रात जी-जान से निरंतर मरीजों की सेवा में तत्पर हैं। श्री सिंह ने यह भी बताया कि सहारा हॉस्पिटल में जटिल से जटिल इलाज की चुनौती को स्वीकार करके दक्ष डॉक्टरों की टीम द्वारा मरीज को नया जीवन देने का हर संभव प्रयास किया जाता है।